उम्मीदें
आस्मान से भी ज्यादा हैं
आशा है
विस्वाश भी
और जिंदगी जीने का अहसास भी
पर राह चलते
अक्सर लड़खड़ाते क़दमों को
संभाल लेने के बाद
जब भी सोचता हूँ
पूछता हूँ चंद सवाल खुद से
खुद ब खुद से
पर जाने क्यों
जवाब हर बार
बार बार
उम्मीद ही आता है
उम्मीद ये एक सिलसिला है
कभी ना ख़त्म होने वाला
ये वो दामन है
Sunday, October 7, 2007
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